रणबीर कपूर की आगामी फिल्म 'रामायण' में हर एक किरदार का चयन बहुत ही सोच-समझकर किया गया है। हालांकि, कई बार ऐसे निर्णयों में गंभीर जोखिम भी शामिल होते हैं। उदाहरण के लिए, इस फिल्म का बजट 4000 करोड़ रुपये है, जो इसे एक विशाल और जोखिम भरा प्रोजेक्ट बनाता है। आज हम इस फिल्म के एक महत्वपूर्ण किरदार पर ध्यान केंद्रित करेंगे, जो रणबीर की 'रामायण' को सफल या असफल बना सकता है। इस फिल्म में एक विस्तृत कास्ट होगी, लेकिन 'राजा' के किरदार के लिए मेकर्स ने जल्दबाजी नहीं दिखाई है। एक बड़ा नाम क्यों खतरा बन सकता है? आइए इसे समझते हैं।
बड़े चेहरे का चयन: फायदे और नुकसान
किसी फिल्म में बड़े सितारे को शामिल करना अक्सर एक बेहतरीन निर्णय होता है। उनके फैंस ट्रेलर में उनकी झलक देखकर फिल्म देखने के लिए उत्सुक हो जाते हैं। यह एक प्रभावी रणनीति है, लेकिन इससे लीड एक्टर, यानी राम के किरदार में रणबीर कपूर को सीधी प्रतिस्पर्धा का सामना करना पड़ सकता है। मेकर्स दूसरों के लाभ के लिए एक जगह भारी नुकसान कर रहे हैं। 'राजा दशरथ' का किरदार निभाने वाले अरुण गोविल की एंट्री से दर्शक खुश हैं, लेकिन इसके पीछे की चिंता क्या है?
'राजा' बने एक्टर से क्यों हैं खतरें?
1. तुलना: रणबीर कपूर पहली बार भगवान राम का किरदार निभाएंगे। इस किरदार को कौन निभाएगा, इस पर असमंजस है। ऐसे में, अरुण गोविल को राजा दशरथ का किरदार देना कितना उचित है? उनके प्रशंसक वर्ग की मजबूती के कारण उनकी उपस्थिति फिल्म को बढ़ावा देगी, लेकिन राम के किरदार को अमर बनाने वाले इस अभिनेता से रणबीर की सीधी तुलना होगी। यदि गोविल अच्छा प्रदर्शन करते हैं, तो दर्शकों का ध्यान उनकी ओर अधिक जाएगा।
2. राम बनाम राम: रामानंद सागर की रामायण से बनी उनकी छवि के कारण लोग उन्हें पूजते हैं। क्या दर्शकों के लिए उन्हें राजा दशरथ के रूप में स्वीकार करना आसान होगा? यह एक बड़ा सवाल है, और फिल्म की रिलीज़ तक यह अनुत्तरित रहेगा।
3. रणबीर का प्रदर्शन: सब कुछ अभिनेता के अभिनय पर निर्भर करेगा। जब अरुण गोविल और रणबीर कपूर एक साथ स्क्रीन पर होंगे, तो वह दृश्य फिल्म में महत्वपूर्ण होगा। एक अभिनेता को अपने करियर में विभिन्न भूमिकाएँ निभानी होती हैं, और इस फिल्म में गोविल की उपस्थिति सकारात्मक या नकारात्मक प्रभाव डाल सकती है।
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